पुरुषो में बाझपन की समयस्या और पक्षपातपूर्ण समाज

पुरुषो में बाझपन की समयस्या और पक्षपातपूर्ण समाज

कैसे बाझपन की समयस्या के साथ एक पुरुष ख़ामोशी में परेशान होता है। 


बाझपन की समयस्या के साथ एक पुरुष को इस रोग के अलावा भी कई मुद्दों का
सामना करना पड़ता है। अपने जीवन में एक नंन्हे बच्चे का आगमन कई सारी खुशियो
को लेकर आता है।  कई जोड़ो को ये ख़ुशी अपने वैवाहिक जीवन में जल्दी मिल
जाती है, तो वही कई को इसे पाने के लिए काभी मेहनत करनी पड़ती है।  वर्तमान
समय में पुरुषो में बाझपन की समयस्या गर्भधारण नहीं बनने का सबसे बड़ा कारण
बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 30प्रतिशत मामलो में पुरुषो में
बाझपन की समयस्या पाई जाती है।


पुरुषो में बाझपन होने के कई कारण हो सकते है


खराब शुक्राणु का उत्पादन


शुक्राणु एंटीबाडीज यानि रोग-प्रतिकारक


इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानि  उत्थानक्षम दोष


हार्मोन संबंधी समयस्या


शुक्राणु  की धमनी में ब्लॉकेज यानि अवरोध


इनके अलावा भी बहुत सारे मुद्दे है जो बाझपन का कारण बनते है।  ये
जीवनशैली की आदते , आनुवांशिक समयस्या या घाव-संबंधी भी हो सकता है। 
हालांकि इन सभी बातो को एक तरफ रख कर देखा जाये, तो जो बात सामने आती है वो
है बाझपन के बाद का प्रभाव।


हमारे समाज में पुरुष बांझपन को लेकर जो तमाम प्रतिबंध और धारणाये है वो
एक पुरुष को बहुत ही भयभीत करती है।  उनको हमेशा ये सिखाया जाता है की एक
पुरुष मतलब ताक़त और पुरुषत्व होता है। और जब ये किसी को नहीं बताने वाली
बात उनके जीवन में होती है, तो ये उनको तोड़ कर रख देती है। वो ख़ामोशी के
साथ परेशान हो जाते है और कोई भी उनके लिए राहत लेकर नहीं आता है।


समाज


जब कोई महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है, तो समाज उस पर दबाव डालना शुरू
कर देता है , लेकिन वहीँ जब पुरुष बाँझपन की समस्या सामने आती है तब एक
लंबी ख़ामोशी छा जाती है। आम तौर पर कई हेल्थ सेंटर महिला बांझपन के बारे
में जानकारी देने के लिए सेमिनार आयोजित करतें हैं। और ये लोगो में एक गलत
धारणा पैदा करतें है की अगर महिला माँ बनने में असमर्थ है, तो ये उसकी गलती
है न की पुरुष की। लेकिन जब कभी भी पुरुष में बाँझपन की बात होती है तो
सभी लोग चुप हो जाते हैं। तो जब एक पुरुष में बाँझपन आता है, तो उसे
स्वीकार नहीं किया जाता है और वो खुद को सबसे अलग पाता है।


बाँझपन का सम्बन्ध पुरुषत्व से


ये एक बहुत ही बड़ा मिथक है कि बाँझपन कमज़ोरी का लक्षण है।  पुरषों से ये
उम्मीद की जाती है की वह मजबूत और बलवान हो । हलाकि ये भी संभव है कि एक
पुरुष जिसमें ये सारे गुण हों, इसके बावजूद भी वो उपेक्षित हो , क्यों की
वह पिता नहीं बन सकता। ये सारी उपेक्षाएँ पुरुष को दुनिया से अलग थलग कर
देतीं है। समाज को ये समझना होगा कि बाँझपन का पुरुषत्व से कोई लेना देना
नहीं है


सहयोग कि कमी


अगर आप के पीछे पर्याप्त सहयोग न हो तो आप सारी उम्मीदें छोड़ देते हैं।
ये बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आप के पास लोगों का सहयोग हो , फिर चाहे ये
जीवन साथी का हो या साइकथेरपिस्ट का हो। लोगों को बाँझपन कि समस्या को झेल
रहे परुषों को अपना प्यार और स्नेह देना होगा, जिससे उन्हें ये विश्वास हो
जाये कि वो इस मुश्किल समय में अकेले नहीं है और उनके पीछे कई लोग खड़े हैं।


अगर आप पुरुष बाँझपन से गुजर रहें है तो आप को तनाव लेने की कोई जरुरत
नहीं है, बल्कि खुद को सहज रखिये।  तनाव बाँझपन को बढ़ता है।  आप सही
सप्लीमेंट का इस्तेमाल कर अपने प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकतें हैं।
मैनस्योर  एक ऐसा ही प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाला सप्लीमेंट है। जो पुरुषों के
शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता और गतिशीलता को बढ़ने में मदद करता है।

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